तुम आओगे यही सोचकर,
चले उन रास्तों से हम,
जिन पर चले थे कभी साथ तुम्हारे,
तुम तो न आये, पर तकते रहे तुम्हारा राह वो सारे निशां भी ,
जो कुरेदे थे हमने पेरों के दाल पर;
पत्थरों पर जो उकेरें थे जो नाम हमने,
मिटा नहीं पाया है अबतक वक़्त भी;
पर तुम ही तो निकल गए आगे,
और छोर गए मुझे पीछे;
अब तुम नहीं आओगे, पर याद आएगी,
देखना इक दिन तेरे इंतज़ार में ही मेरी जान जायेगी;
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